चैत्र नवरात्र के दौरान घट स्थापना विधि | Chaitra Navratri Ghat Sthapna Vidhi | Sanatan Vandan


चैत्र नवरात्र के दौरान घट स्थापना विधि | Chaitra Navratri Ghat Sthapna Vidhi | Sanatan Vandan

चैत्र नवरात्र के दौरान घट स्थापना विधि 

Chaitra Navratri Ghat Sthapna Vidhi 

Sanatan Vandan


चैत्र नवरात्र 2024 का उत्सव भारतीय हिंदू कैलेंडर के अनुसार होता है। यह उत्सव चैत्र माह में मनाया जाता है, जो मार्च-अप्रैल के मध्य अवधि में आता है। यह नवरात्र उत्सव नौ दिनों तक चलता है और देवी दुर्गा को नव रूपों में पूजा जाता है। इस उत्सव के दौरान, लोग धार्मिक रूप से समर्पित होते हैं और मां दुर्गा की पूजा-अर्चना, भक्ति और आरती करते हैं। यह उत्सव भारत भर में धूमधाम से मनाया जाता है और लोग इसे धैर्य, शक्ति और साहस की प्रतीक मानते हैं।


चैत्र नवरात्र उत्सव का महत्व अत्यंत उच्च होता है क्योंकि यह माना जाता है कि इसी समय में मां दुर्गा ने अपने शक्ति के साथ असुरों पर विजय प्राप्त की थी। यह उत्सव लोगों को सामाजिक समर्पण, साहस, समर्पण और उत्साह की भावना से ओतप्रोत करता है। विभिन्न क्षेत्रों में नृत्य, संगीत और कला की विभिन्न प्रकार के कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं। इसके अलावा, लोग घरों को सजाकर, विशेष रूप से नौरात्रि के दौरान, पूजा-अर्चना करते हैं और विभिन्न प्रकार की प्रसाद बनाते हैं। 

इस उत्सव के दौरान मंदिरों में भक्तों की भारी भीड़ होती है और विभिन्न माता के मंदिरों में विशेष पूजा-अर्चना का आयोजन किया जाता है। चैत्र नवरात्र भारतीय संस्कृति और धार्मिक विविधता का एक महत्वपूर्ण प्रतीक है जो समृद्ध और उत्तेजित रूप में मनाया जाता है।


चैत्र नवरात्र के दौरान, लोग मां दुर्गा के नौ रूपों की पूजा करते हैं, जिन्हें नवदुर्गा के रूप माना जाता है। इन रूपों का महत्व भी उत्सव में अधिक होता है। नौ दिनों के दौरान, प्रत्येक दिन को अलग-अलग रूप के समर्पित किया जाता है, जैसे कि शैलपुत्री, ब्रह्मचारिणी, चंद्रघंटा, कूष्माण्डा, स्कंदमाता, कात्यायनी, कालरात्रि, महागौरी, और सिद्धिदात्री। 


नवरात्रि के दौरान, विभिन्न क्षेत्रों में रास लीला, गरबा रास, ध्वजारोहण, और दशहरा के पर्व का आयोजन किया जाता है। ये सभी कार्यक्रम धार्मिक और सांस्कृतिक प्रस्थानों के साथ-साथ लोगों को साथ लाते हैं। इनके अलावा, अनेक स्थानों पर भजन-कीर्तन के कार्यक्रम भी आयोजित किए जाते हैं। 


चैत्र नवरात्र का पावन अवसर हमें ध्यान और शांति की ओर आकर्षित करता है, साथ ही धर्मिक साहित्य को गहराई से समझने और उसके विचारों को अपने जीवन में अंकित करने का भी अवसर प्रदान करता है।

को ध्यान से और धार्मिक अनुष्ठान के अनुसार पालन किया जाता है। निम्नलिखित है एक सामान्य चैत्र नवरात्र घट स्थापना विधि:


1. **साफ़ सफाई**: पहले यह सुनिश्चित करें कि स्थापित किया जाने वाला स्थान साफ है। घर के एक पवित्र स्थान को चुनें जहां आप घट स्थापित कर सकें।
2. **घट की तैयारी**: एक पारंपरिक घट या पानी का मटका लें। इसमें जल भरें और उसे साफ कपड़े से पोछ लें।
3. **पूजनीय वस्त्र और आभूषणों की तैयारी**: घट को सजाने के लिए पूजनीय वस्त्र (पारंपरिक या रंगीन कपड़े) और आभूषण (माला, चंदन, कुंकुम, अगरबत्ती, धूप, चावल, मिठाई, फल आदि) तैयार करें।
4. **घट स्थापना**: पानी भरे गए मटके को थाली या किसी और उचित स्थान पर रखें। उसके ऊपर चंदन या कुंकुम से सांचा बनाएं।
5. **प्रतिमा का स्थान निर्धारण**: घट के सामने या उसके पास मां दुर्गा की प्रतिमा को स्थापित करें।
6. **पूजा**: मां दुर्गा की प्रतिमा को पूजन करें। धूप, दीप, अगरबत्ती, फल, मिठाई, नैवेद्य, और पुष्प चढ़ाएं।
7. **आरती**: मां दुर्गा की आरती गाएं और घट की आरती करें।
8. **निर्णय करें**: सभी परिवार के सदस्यों द्वारा घट के सामने आरती करें और प्रसाद बांटें।
यहीं, यह थी चैत्र नवरात्र के घट स्थापना की सामान्य विधि। इसके अलावा, ज्यादातर घरों में उपयोग की जाने वाली स्थानीय परंपराओं और आधार पर अलग-अलग विधियां भी हो सकती हैं।


चैत्र नवरात्र के घट स्थापना में आमतौर पर यह ध्यान दिया जाता है कि स्थापित किए जाने वाले घट को पवित्र और साफ सुथरा रखा जाए, और पूजा के सामग्री का उपयोग भी ध्यानपूर्वक किया जाए। ध्यान रखने वाली अन्य महत्वपूर्ण बातें निम्नलिखित हैं:


1. **स्थान का चयन**: घट को स्थापित करने के लिए एक पवित्र और शांत स्थान का चयन करें। इसे ध्यान में रखते हुए स्थान को उसकी पूजनीयता और परिवेश के अनुसार चुनें।
2. **समय का चयन**: घट स्थापना का समय विशेषांकित धार्मिक मुहूर्त में करें। ध्यान रखें कि यह समय सांय के समय का होना चाहिए।
3. **व्रत और आदर्शों का पालन**: घट स्थापना करते समय व्रत, शुभ संकल्प, और पूजा की परंपराओं का पालन करें।
4. **ध्यान और शुद्धि**: पूजा करते समय मन को ध्यानाधारित और शुद्ध रखें। इसके लिए मेधावी भजन और ध्यान का अभ्यास करें।
5. **आहार का ध्यान**: घट स्थापना के दौरान सात्विक आहार का सेवन करें और व्रत के नियमों का पालन करें।
चैत्र नवरात्र के घट स्थापना में ये सभी तत्व महत्वपूर्ण होते हैं और इस धार्मिक अनुष्ठान के माध्यम से आत्मिक और धार्मिक विकास का भी अवसर प्राप्त होता है।



चैत्र नवरात्र के घट स्थापना में एक और महत्वपूर्ण पहलू है की पूजनीय स्थान को पवित्र और शुद्ध रखना। इसके लिए आप निम्नलिखित चीज़ें ध्यान में रख सकते हैं:


1. **ध्यानाकर्षण**: पूजनीय स्थान को सजाने के लिए उन्हें ध्यानाकर्षक बनाएं। आप प्रतिमा, पूजनीय वस्त्र, अगरबत्ती, फूल, और अन्य पूजा सामग्री का उपयोग करके स्थान को सजा सकते हैं। 
2. **पवित्रता की भावना**: घट स्थापना के समय, आपको अपने मन को पवित्रता की भावना में लाना चाहिए। ध्यान दें कि यह क्षण ध्यान का, शांति का, और आत्मिक संयम का हो। 
3. **सामर्थ्य की शक्ति**: पूजा के दौरान और पूजनीय स्थान को तैयार करते समय, सामर्थ्य की शक्ति का महसूस करें। यह आपको एक स्थिर और सकारात्मक मनोभाव देगा। 
4. **ध्यान और गहनता**: पूजा के दौरान, अपने मन को प्रतिष्ठान, श्रद्धा, और गहनता में ध्यानित रखें। यह आपको पूजा के अनुभव को गहराई से महसूस करने में मदद करेगा। 
इन सुझावों के साथ, आप चैत्र नवरात्र के घट स्थापना को एक पवित्र और धार्मिक अनुष्ठान के रूप में समझ सकते हैं और इसे अपने जीवन का महत्वपूर्ण हिस्सा बना सकते हैं।


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